Saturday 28 January 2012

विद्या देवी



या कुंदेंदुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता |
या वीणावरदण्डमंडितकरा या श्वेतपद्मासना ||
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभ्रृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता |
सा मां पातु सरस्वती भगवती नि:शेषजाड्यापहा ||

अर्थात,

जो चन्द्रमा समान मुखमंडल लिए, हिम जैसे श्वेत कुंद फूलों के हार और शुभ्र वस्त्रों से अलंकृत हैं|
जो हाथों में श्रेष्ठ वीणा लिए श्वेत कमल पर विराजमान हैं||
ब्रह्मा, विष्णु और महेश आदि देवगण भी जिनकी सदैव स्तुति करते हैं|
हे मां भगवती सरस्वती, आप मेरी सारी मानसिक जड़ता को दूर करो||
हे सर्वत्र-विद्यमान विद्या देवी, आपको मेरा बार-बार नमस्कार||